प्रश्न:उत्पत्ति 3:16 में “तेरी इच्छा तेरे पति के प्रति होगी” का क्या अर्थ है? यह कैसी इच्छा है?

by Ester yusufu | 2 सितम्बर 2019 08:46 अपराह्न09

उत्तर:

जब हव्वा ने उस वृक्ष का फल खाया जिससे परमेश्वर ने खाने को मना किया था, तब परमेश्वर ने सर्प, स्त्री और पुरुष—तीनों पर दंड सुनाया। स्त्री के लिए परमेश्वर ने कहा:

“मैं तेरे गर्भवती होने के दुख को बहुत बढ़ा दूँगा; तू पीड़ा के साथ बालक जनेगी। तेरी इच्छा तेरे पति के प्रति होगी, और वह तुझ पर प्रभुत्व करेगा।”
उत्पत्ति 3:16

पहली नज़र में यह वचन किसी प्रेम या आकर्षण की बात जैसा लगता है, लेकिन मूल हिब्रू भाषा और धर्मशास्त्र के गहरे अध्ययन से पता चलता है कि यह नियंत्रण और अधिकार की इच्छा को दर्शाता है—यानी विवाह के संबंध में सत्ता-संघर्ष की शुरुआत।


1. इच्छा की जड़ कहाँ से आई

जब शैतान ने हव्वा को धोखा दिया, उसने उसकी महत्वाकांक्षा को उभारा।

“क्योंकि परमेश्वर जानता है कि जिस दिन तुम उसमें से खाओगे, उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम भले और बुरे को जानने में परमेश्वर के समान हो जाओगे।”
उत्पत्ति 3:5

यह प्रलोभन हव्वा के भीतर परमेश्वर से स्वतंत्र होने, शक्ति और ज्ञान पाने, और अपने जीवन पर स्वयं अधिकार करने की इच्छा को जन्म देता है। यही अभिमान का पाप था—जो बहुत से अन्य पापों की जड़ है (देखें यशायाह 14:12–14; नीतिवचन 16:18)।

यह “परमेश्वर के समान होने” की लालसा केवल ज्ञान की नहीं, बल्कि नियंत्रण की थी।
आदम, जो पहले बनाया गया था (1 तीमुथियुस 2:13), ने अभिमान से नहीं बल्कि निष्क्रियता से चूक की।
पर हव्वा के भीतर आत्म-निर्भरता और प्रभुत्व की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई—और इसी ओर संकेत करते हुए परमेश्वर ने कहा, “तेरी इच्छा तेरे पति के प्रति होगी।”


2. हिब्रू शब्द और शास्त्रीय तुलना

यहाँ “इच्छा” के लिए हिब्रू शब्द ‘तेशूक़ाह’ (teshuqah) प्रयुक्त हुआ है। यह शब्द बाइबल में केवल तीन बार आता है। इसका सबसे निकट उदाहरण है:

“पाप तेरे द्वार पर दबका बैठा है; उसकी इच्छा तुझ पर है, परन्तु तू उस पर प्रभुता कर।”
उत्पत्ति 4:7

दोनों ही स्थानों पर “इच्छा” (तेशूक़ाह) का अर्थ प्रेम नहीं, बल्कि नियंत्रण और अधिकार पाने की चाह है।
“प्रभुत्व करना” (rule) यहाँ शक्ति या अधिकार के संघर्ष को दर्शाता है।
इससे स्पष्ट है कि उत्पत्ति 3:16 की “इच्छा” पति के प्रति प्रेम नहीं, बल्कि उस पर नियंत्रण करने की प्रवृत्ति को दिखाती है।

यह वही क्षण था जब पाप ने पति-पत्नी के बीच की एकता को विकृत कर दिया। पहले जहाँ प्रेम और समानता थी, अब वहाँ प्रतिस्पर्धा और नियंत्रण की भावना आ गई।
स्त्री अपने पति पर प्रभाव जमाना चाहेगी, और पति उस पर अधिकार जमाएगा—अक्सर कठोरता से। यह परमेश्वर की मूल योजना नहीं थी, बल्कि पतन का परिणाम था।


3. यह शाप कोई आज्ञा नहीं है

यह समझना ज़रूरी है कि उत्पत्ति 3:16 कोई आदेश नहीं है, बल्कि एक स्थिति का वर्णन है
परमेश्वर यह नहीं कह रहा कि पुरुष को स्त्री पर जबरदस्ती शासन करना चाहिए; बल्कि वह यह बता रहा है कि पाप के कारण ऐसा होगा।

इसीलिए नए नियम में हम विवाह का एक नया आदर्श देखते हैं—मसीह के प्रेम और नम्रता पर आधारित विवाह

“हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम किया और अपने आप को उसके लिये दे दिया।”
इफिसियों 5:25

“हे पत्नियों, अपने अपने पति के अधीन रहो, जैसा प्रभु के अधीन रहती हो।”
इफिसियों 5:22

यह दमन नहीं, बल्कि मसीह में पारस्परिक अधीनता है (देखें इफिसियों 5:21)।
पति को प्रेम और बलिदान के साथ नेतृत्व करने को बुलाया गया है, और पत्नी को विश्वास और नम्रता से पालन करने के लिए।


4. मसीह में उद्धार — शाप से मुक्ति

यीशु मसीह ने हमें पाप और उसके परिणामों से मुक्त किया। उसने हमारे लिए स्वयं शाप बनकर यह उद्धार किया:

“मसीह ने हमारे लिये शाप बनकर हमें व्यवस्था के शाप से छुड़ाया…”
गलातियों 3:13

मसीह में अब पति-पत्नी के बीच शक्ति-संघर्ष की आवश्यकता नहीं है।
पति अब बलपूर्वक शासन नहीं करता, और पत्नी नियंत्रण पाने की होड़ नहीं करती।
दोनों प्रेम और आदर में एक-दूसरे की सेवा करते हैं।

“न वहाँ यहूदी है, न यूनानी; न दास है, न स्वतंत्र; न नर है, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।”
गलातियों 3:28

यह वचन यह नहीं कहता कि पुरुष और स्त्री में कोई भेद नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि मसीह में दोनों की समान गरिमा और मूल्य हैं—जहाँ पाप से उत्पन्न कलह मिट जाती है।


5. अंतिम विचार

जब परमेश्वर ने कहा, “तेरी इच्छा तेरे पति के प्रति होगी, और वह तुझ पर प्रभुत्व करेगा,” तो वह पतन के बाद मानव संबंधों में आई टूटन को दर्शा रहा था।
परन्तु मसीह में हमें एक नया जीवन और नया संबंध मिला है—प्रेम, अनुग्रह और एकता पर आधारित विवाह, जो मसीह और उसकी कलीसिया के संबंध का प्रतिबिंब है।

मसीह में शाप पर विजय प्राप्त हो चुकी है, और पुरुष व स्त्री के बीच सच्ची एकता पुनर्स्थापित हो सकती है।

परमेश्वर आपको आशीष दे।
— उत्तर आधारित: उत्पत्ति 3:16; इफिसियों 5; गलातियों 3:13, 28

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