जब शैतान आपके अंदर प्रवेश करता है, तो वह एक अजनबी हृदय स्थापित करता है

by Rose Makero | 2 अप्रैल 2021 08:46 पूर्वाह्न04


शांति हो! हमारे प्रभु यीशु मसीह के सामर्थी नाम की स्तुति हो। आज हम एक महत्वपूर्ण विषय को समझने जा रहे हैं — “जब शैतान आपके अंदर प्रवेश करता है, तो वह आपके भीतर एक अजनबी मनोभाव या हृदय रख देता है।”

शैतान के आने की पहचान केवल दुष्टात्माओं या अपवित्र आत्माओं से नहीं होती। यदि आप सोचते हैं कि शैतान केवल उन्हीं में होता है जो ज़मीन पर लोटते हैं, चीखते हैं, या हिंसक व्यवहार करते हैं — तो आप बहुत सतही समझ रखते हैं। शैतान का सबसे खतरनाक काम यह है कि वह व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर के उसका हृदय बदल देता है। यही वह समय होता है जब इंसान को यह एहसास भी नहीं होता कि उसके अंदर शैतान काम कर रहा है।

शैतान सबसे पहले आपके विचारों को बदलता है, फिर आपके शब्दों को, और फिर आपके निर्णयों को। जब वह पूरी तरह से आपके मन और आत्मा पर नियंत्रण कर लेता है, तब आप वैसे ही कार्य करने लगते हैं जैसे वह चाहता है।

बाइबल में यह बात स्पष्ट है कि हर मनुष्य का असली स्वरूप उसके दिल से प्रकट होता है।

“क्योंकि जैसे वह अपने मन में विचार करता है, वैसा ही वह है।”
— नीति वचन 23:7 (Pavitra Bible: Hindi O.V.)

इसका अर्थ है कि आपके मन की स्थिति ही आपके जीवन की दिशा तय करती है। अब ज़रा सोचिए — यदि शैतान आपके मन को बदल दे, तो क्या वह आपके पूरे जीवन को नहीं बदल देगा?


शैतान एक ‘अजनबी हृदय’ लाता है

जब शैतान किसी में प्रवेश करता है, तो वह उसमें वही हृदय नहीं रहने देता जो परमेश्वर ने रखा था। वह एक नया हृदय रख देता है — एक अजनबी हृदय — जो परमेश्वर की इच्छा और योजना के विरुद्ध चलता है। और यह हृदय बहुधा धार्मिक लिबास में छिपा होता है।

आप बाहर से भले ही चर्च जाते हों, प्रार्थना करते हों, बाइबल पढ़ते हों — लेकिन भीतर का हृदय अगर शैतान के प्रभाव में है, तो आपकी सेवा, आपकी आराधना और आपकी धार्मिकता भी परमेश्वर के लिए अपवित्र हो जाती है।

यीशु ने भी फरीसियों और धर्मगुरुओं के बारे में कहा:

“यह लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर इनका मन मुझसे दूर है।”
— मत्ती 15:8 (Pavitra Bible: Hindi O.V.)

यहाँ पर यीशु साफ़ कर देते हैं कि परमेश्वर को केवल बाहरी धार्मिकता नहीं, बल्कि हृदय की सच्चाई चाहिए।


एक बदला हुआ हृदय ही असली चिन्ह है

यदि आप यह जानना चाहते हैं कि कोई व्यक्ति वाकई परमेश्वर का है या शैतान का, तो उसके कपड़े या शब्दों को नहीं, बल्कि उसके हृदय को देखिए — उसके निर्णयों को, उसके प्रेम को, उसकी नम्रता को, उसकी सच्चाई के प्रति लगन को।

“मनुष्य तो मुख पर ध्यान देता है, परन्तु यहोवा तो मन पर दृष्टि करता है।”
— 1 शमूएल 16:7 (Pavitra Bible: Hindi O.V.)


क्या आपके अंदर परमेश्वर का हृदय है या शैतान का?

यह बहुत ही व्यक्तिगत और गंभीर प्रश्न है। क्या आपके अंदर वही हृदय है जो मसीह का था — प्रेमी, क्षमाशील, नम्र, सत्यप्रिय — या फिर एक ऐसा हृदय है जो कटुता, द्वेष, स्वार्थ और धार्मिक अभिमान से भरा है?

यदि आपने पाया कि आपके हृदय में परमेश्वर की जगह कोई और बैठा है, तो डरिए मत — आज ही पश्चाताप कीजिए। प्रभु यीशु अभी भी हृदयों को नया करने की सामर्थ्य रखते हैं।

“मैं तुम्हें नया हृदय दूंगा और नया आत्मा तुम में डालूंगा; मैं तुम्हारे शरीर में से पत्थर का हृदय निकाल कर मांस का हृदय दूंगा।”
— यहेजकेल 36:26 (Pavitra Bible: Hindi O.V.)


निष्कर्ष

शैतान का सबसे घातक काम यह नहीं है कि वह किसी को गिरा देता है, बल्कि यह है कि वह किसी के अंदर रह कर उसे बदल देता है — एक अजनबी हृदय दे देता है जो परमेश्वर से पराया है।

आप किस हृदय के साथ जी रहे हैं?

यदि आपको इस संदेश ने छुआ है, तो आज ही प्रभु से प्रार्थना कीजिए:
“हे प्रभु, मेरा हृदय जाँच! मुझे वह शुद्ध हृदय दे जो तुझसे प्रेम करे और तेरी इच्छा को पूरा करे। मुझे शैतान से बचा और अपने आत्मा से भर दे। आमीन।”


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