फिलिप्पियों 4:8 को समझिए — यह एक विश्वासी के लिए क्या अर्थ रखता है?

by Rose Makero | 30 नवम्बर 2023 08:46 पूर्वाह्न11

फिलिप्पियों 4:8

“अन्त में, हे भाइयों, जितनी बातें सत्य हैं, जितनी बातें आदरणीय हैं, जितनी बातें उचित हैं, जितनी बातें पवित्र हैं, जितनी बातें प्रिय हैं, जितनी बातें मनभावनी हैं, यदि कोई सद्गुण हो और यदि कोई प्रशंसा हो, तो उन्हीं पर ध्यान लगाओ।”
(पवित्र बाइबल – Hindi O.V.)

यदि आप इस पद्यांश को ध्यान से देखें तो पाएँगे कि यहाँ बार-बार “जितनी बातें” शब्द का प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ यह है कि ऐसी कई बातें हैं, अनेक प्रकार की बातें, जिनका वहाँ नाम नहीं लिया गया है। बाइबल यहाँ हर उस बात की ओर इशारा कर रही है, जो भली है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बाइबल ने हर एक अच्छे कार्य को नहीं लिखा है जो मनुष्य को करना चाहिए। यदि ऐसा होता, तो यह इतना बड़ा ग्रंथ होता कि कोई भी मनुष्य इसे पढ़कर समाप्त नहीं कर पाता। इसलिए बाइबल ने केवल एक सार या मार्गदर्शन दिया है, जिस पर चलना चाहिए।

उदाहरण के लिए, आप कहीं भी बाइबल में नहीं पाएँगे कि लिखा हो, “गिरिजाघर में जाकर कोयर (गान मंडली) में गीत गाओ।” लेकिन यह भी एक अच्छा और मनभावन कार्य है। इसी प्रकार बाइबल यह नहीं कहती कि हमें नाटकों के माध्यम से सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। परन्तु यह तरीक़ा कई बार पाप में फँसे लोगों के दिलों को छूकर उन्हें मसीह के पास लाता है, बशर्ते कि ये सब बातें शुद्ध और परमेश्वर के वचन के अनुकूल ही हों।

या जब हम लाउडस्पीकर का प्रयोग करते हैं, या सड़कों पर जाकर सुसमाचार के पर्चे बाँटते हैं — ऐसी किसी बात का सीधा आदेश आपको बाइबल में नहीं मिलेगा। फिर भी, ये सब सत्य के अनुकूल और उपयोगी कार्य हैं।

इसलिए निष्कर्ष यह है कि ऐसे कई कार्य हो सकते हैं जिन्हें हम परमेश्वर के लिए कर सकते हैं। प्रभु हमें किसी भी भली बात पर विचार करने से रोकता नहीं है, इसी कारण पौलुस ने अंत में लिखा: “उन्हीं पर ध्यान लगाओ।” इसका अर्थ है — सोचिए, जाँचिए, ऐसी सभी विधियों का उपयोग कीजिए, जिनका अन्तिम फल यह हो कि परमेश्वर का राज्य और मजबूत हो, और अधिक आकर्षक दिखाई दे।

अपनी जानकारी को देखिए, अपने ज्ञान को देखिए, और सोचिए कि आप किस प्रकार ऐसा कार्य कर सकते हैं, जिससे परमेश्वर को महिमा मिले। परमेश्वर की सेवा केवल वेदी (मंच) पर खड़े होकर प्रचार करने तक सीमित नहीं है। परमेश्वर की सेवा बहुत व्यापक है। इसलिए वहीं जहाँ आप हैं, विचार कीजिए — आप अपने जीवन से परमेश्वर के राज्य को कैसे बढ़ा सकते हैं? प्रभु आपको बुद्धि देगा।

प्रभु आपको आशीष दे।

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