योना: अध्याय 4

योना: अध्याय 4

हमारे प्रभु यीशु मसीह की स्तुति हो।

हम परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं कि उसने हमें फिर से अपने वचन का अध्ययन करने का यह नया अवसर दिया। आज हम योना की पुस्तक के अंतिम अध्याय, यानी अध्याय 4 पर पहुँच गए हैं।

जैसा कि हमने पहले के अध्यायों में देखा, भविष्यद्वक्ता योना उन मसीहीयों और प्रचारकों का प्रतिनिधित्व करता है जो विश्वास में गुनगुने हैं। बाइबल उन्हें “मूर्ख कुँवारियाँ” कहती है (मत्ती 25), जो अपने दूल्हे के साथ विवाह-भोज में प्रवेश करने के लिए तैयार नहीं थीं, क्योंकि उनकी दीपक में अतिरिक्त तेल नहीं था। उन्होंने सोचा कि उनके पास जो थोड़ा तेल था वही दूल्हे के आने तक पर्याप्त होगा। यह अन्तिम समय के लौदीकिया कलीसिया के मसीहीयों का साफ चित्र है।

योना का कारण
इस अंतिम अध्याय का मुख्य विषय यह है कि योना निनवे क्यों नहीं जाना चाहता था। यह सब तब प्रकट होता है जब यहोवा ने निनवे नगर पर आनेवाली विपत्ति से मन फिरा लिया, क्योंकि नगर ने पश्चाताप किया और अपने बुरे मार्गों से फिर गया।

योना 4:1-11
“^1 यह बात योना को बड़ी बुरी लगी और वह बहुत क्रोधित हुआ।
^2 उसने यहोवा से प्रार्थना करके कहा, ‘हे यहोवा, क्या जब मैं अपने देश में था तभी मैंने यह नहीं कहा था? इसी कारण मैं तरशीश भागना चाहता था; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, क्रोध करने में धीमा और करुणा में महान, और तू विपत्ति से पछताता है।
^3 अब, हे यहोवा, मैं तुझसे बिनती करता हूँ, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिए जीवित रहने से मर जाना अच्छा है।’
^4 यहोवा ने कहा, ‘क्या तेरा क्रोधित होना उचित है?’
^5 तब योना नगर से निकलकर नगर के पूर्व की ओर बैठ गया। उसने वहाँ एक झोंपड़ी बनाई और उसके नीचे छाया में बैठा यह देखने के लिए कि नगर का क्या होगा।
^6 यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ा (पौधा) उगाया, जो योना के सिर पर छाया करे और उसे उसके दुःख से छुड़ाए। योना उस रेंड़े के कारण बहुत आनन्दित हुआ।
^7 परन्तु अगले दिन भोर होते ही परमेश्वर ने एक कीड़ा भेजा, जिसने उस रेंड़े को काट खाया और वह सूख गया।
^8 जब सूरज चढ़ा तो परमेश्वर ने प्रचण्ड पूर्वी हवा भेजी। सूरज की तपन से योना का सिर चकरा गया, और वह मरना चाहता था। उसने कहा, ‘मेरे लिए जीने से मरना अच्छा है।’
^9 तब परमेश्वर ने योना से कहा, ‘क्या तू रेंड़े के कारण क्रोधित होना उचित समझता है?’ उसने कहा, ‘हाँ, मेरा क्रोधित होना उचित है, यहाँ तक कि मर जाने तक।’
^10 यहोवा ने कहा, ‘यह रेंड़ा जिसके लिए तूने परिश्रम नहीं किया, न तूने उसे उगाया, जो रातों-रात उगा और रातों-रात नाश हो गया—तू उस पर दया करता है।
^11 तो क्या मैं उस बड़े नगर निनवे पर दया न करूँ, जिसमें एक लाख बीस हज़ार से अधिक लोग हैं जो अपने दाएँ-बाएँ हाथ को नहीं पहचानते, और बहुत से पशु भी हैं?’”

शिक्षा
जैसा कि ऊपर शास्त्र में पढ़ा, योना ने परमेश्वर की आज्ञा का विरोध इसलिए किया क्योंकि वह परमेश्वर को बहुत दयालु मानता था। वह जानता था कि परमेश्वर इस्राएल को बार-बार क्षमा करता रहा है। जब इस्राएली परमेश्वर को क्रोधित करते और दण्ड के योग्य बनते, तब भी परमेश्वर उनके लिए अपने नबियों को भेजकर उन्हें पश्चाताप करने का अवसर देता था।

इसीलिए जब परमेश्वर ने योना को निनवे भेजा कि वह वहाँ लोगों को पश्चाताप का सन्देश सुनाए, तो योना ने सोचा—“परमेश्वर तो फिर से क्षमा करेगा, अन्त में वह बुराई से पछता जाएगा, तो मैं क्यों जाऊँ?” इसी कारण उसने आज्ञा को हल्के में लिया और अपनी राह चला।

परिणाम यह हुआ कि उसे उस बड़ी क्लेश की भट्टी से होकर गुजरना पड़ा—तीन दिन और तीन रात बड़ी मछली के पेट में।

आज के मसीही और प्रचारक
यही हाल आज के गुनगुने प्रचारकों और मसीहीयों का है। प्रारम्भ में परमेश्वर ने बहुतों को पश्चाताप का सन्देश सुनाने को भेजा। पर अब वे केवल सान्त्वना और समृद्धि के उपदेश देते हैं। वे कहते हैं:

“परमेश्वर प्रेम है।”

“सब ठीक है।”

“मसीह में हम सब सुरक्षित हैं।”

लेकिन वे भूल जाते हैं कि बिना पश्चाताप के कोई शान्ति नहीं है (यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला और स्वयं यीशु का पहला उपदेश था—“पश्चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है।” – मत्ती 3:2; 4:17).

आज बहुत से मसीही इन झूठे उपदेशकों के पीछे-पीछे चल पड़े हैं। पर वे नहीं जानते कि वे सब के सब तरशीश की ओर जा रहे हैं—जहाँ समुद्र से निकलने वाला वह पशु (प्रकाशितवाक्य 13, 17) तैयार बैठा है, जो उन्हें महान क्लेश के समय निगल जाएगा।

झूठे भविष्यद्वक्ता
प्राचीन काल में भी ऐसा हुआ। जब इस्राएल का पाप चरम पर पहुँच गया, यहोवा ने यहूदा को बाबुल की बन्धुवाई में भेजने का निश्चय किया। नबी यिर्मयाह ने इसका सन्देश दिया, परन्तु हनन्याह नामक झूठा नबी उठा और कहा कि ऐसा कुछ न होगा। लोग आनन्दित हो गए, पर यह सब झूठ था। अन्त में यहोवा ने स्वयं हनन्याह को मार डाला (यिर्मयाह 28:15-17).

अन्तिम चेतावनी
इसलिए, भाइयो और बहनो, झूठे सुसमाचारों से धोखा मत खाओ। हम अन्तिम समय में जी रहे हैं। प्रभु यीशु शीघ्र आने वाले हैं। अब समय निकल गया है।

इसलिए—

पवित्रता और पश्चाताप का जीवन जियो (इब्रानियों 12:14)

मूर्तिपूजा, व्यभिचार, मदिरापान, विलासिता, भ्रष्टाचार और चुगली से बचो।

सही बपतिस्मा लो, ताकि तुम्हारे पाप क्षमा हों।

पवित्र आत्मा से भर जाओ।

यही मसीही का पहला और सच्चा आशीर्वाद है।

परमेश्वर आपको आशीष दे। 🙏

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Neema Joshua editor

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