जिस दिन प्रभु यीशु ने प्राण त्यागे, बाइबल बताती है कि कई कब्रें खुल गईं और बहुत-से पवित्र लोग, जो मर चुके थे, जीवित हो उठे।लेकिन वे तुरंत कब्रों से बाहर नहीं निकले; वे वहीं रहे, जब तक कि स्वयं यीशु मृतकों में से जी उठे। फिर वे पवित्र नगर यरूशलेम की ओर बढ़े, और वहाँ बहुत-से लोगों ने उन्हें देखा।
यह एक बड़ा प्रश्न खड़ा करता है:वे उसी समय क्यों जीवित हुए? और वे यरूशलेम ही क्यों गए?
“50 यीशु फिर से ज़ोर-से चिल्लाया और उसने प्राण त्याग दिए।51 तभी मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक दो फाड़ हो गया। पृथ्वी काँपने लगी और चट्टानें टूट फूट गयीं।52 कब्रें खुल गयीं और मर कर सो गये बहुत से पवित्र पुरुषों के शरीर पुनर्जीवित हो उठे।53 वे यीशु के पुनरुत्थान के पश्चात अपनी कब्रों से निकल कर पवित्र नगर में आये और बहुतों को दिखाई दिये।”
इन पवित्र लोगों का पुनरुत्थान कोई संयोग नहीं था। इसके पीछे परमेश्वर के उद्देश्य थे:
परमेश्वर अपने लोगों को दिखाना चाहता था कि यीशु सचमुच जी उठा है—यह कोई अफ़वाह नहीं, बल्कि सच्ची घटना है।
1 कुरिन्थियों 15:20 (ERV-HI)“पर अब मसीह सचमुच मरने वालों में से जी उठा है। जो मर गए उनमें से वह प्रथम है।”
यह भविष्य में होने वाले सामान्य पुनरुत्थान की झलक भी था और यरूशलेम के लोगों के लिए एक जीता–जागता गवाही।
उस समय कुछ समूह, जैसे सदूकियों, पुनरुत्थान को मानते ही नहीं थे (प्रेरितों 23:8)।कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यीशु का शरीर चुरा लिया गया।
परन्तु इन जीवित हुए पवित्र जनों ने दिखा दिया कि परमेश्वर की शक्ति पूर्ण है और मृत्यु उसके लोगों को रोक नहीं सकती।
यरूशलेम इस्राएल का आध्यात्मिक और राजनीतिक केंद्र था।परमेश्वर ने इन संतों को वहीं भेजा ताकि सबको दिखाई दे:
→ पुनरुत्थान ईश्वरीय शक्ति है,→ जिससे परमेश्वर की महिमा प्रकट होती है,→ और लोगों का विश्वास मज़बूत होता है।
लेकिन क्या सभी ने यह देखा?नहीं।केवल वे लोग जो उस समय यरूशलेम में थे—और जिनका हृदय ग्रहणशील था।ठीक उसी तरह जैसे यीशु भी अपने पुनरुत्थान के बाद सभी को नहीं, बल्कि अपने चेलों को ही दिखाई दिए।
कल्पना कीजिए उन लोगों की भावना—जब उन्होंने अपने ही परिचितों, मित्रों या रिश्तेदारों को जीवित चलते फिरते देखा और उन्हें यह कहते सुना:“मैं यूसुफ हूँ… मैं सुलैमान हूँ… मैं यिर्मयाह हूँ।”ऐसे में कौन पुनरुत्थान पर संदेह करता?
अब हम जिस पुनरुत्थान की प्रतीक्षा कर रहे हैं—अर्थात कलीसिया का पुनरुत्थान, यानी “रैप्चर”—वह कहीं बड़ा और कहीं निकट है।जब परमेश्वर की महान तुरही बजेगी, तब वही दृश्य दुबारा घटेगा, लेकिन इस बार पूरी दुनिया के लिए।
“15 प्रभु से यह संदेश पाकर, हम तुमसे बताते हैं कि प्रभु के आने तक जो हम जीवित रहेंगे, वे उन लोगों से पहले नहीं उठाये जायेंगे, जो मर चुके हैं।16 जैसे ही आज्ञा का शब्द, प्रधान स्वर्गदूत की आवाज और परमेश्वर की तुरही की ध्वनि सुनाई देगी, स्वयं प्रभु स्वर्ग से उतर आयेगा। और मसीह में मरे हुए लोग पहले उठाये जाएंगे।17 फिर हम जो अभी जीवित हैं और बचे हुए हैं, उनके साथ बादलों पर उठा लिये जायेंगे ताकि हम प्रभु से आकाश में मिल सकें। और इस प्रकार हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।18 इसलिए इन बातों से एक दूसरे को सांत्वना दो।”
यह भविष्य की घटना पहली पुनरुत्थान (प्रकाशितवाक्य 20:5–6) का भाग है।इसमें हर पीढ़ी के पवित्र जन शामिल होंगे।
• पहले मसीह में मरे हुए उठेंगे।• उसके बाद जीवित विश्वासियों को बिना मरे परिवर्तित किया जाएगा (1 कुरिन्थियों 15:51–52)।• यह उठाये जाना (रैप्चर) कलीसिया को आने वाले न्याय से बचाता है।
जैसे यीशु के पुनरुत्थान को सबने नहीं देखा था, वैसे ही यह भविष्य की घटना भी केवल उन्हीं लोगों के लिए अनुभव होगी जो नवजीवन पाए हुए, आत्मिक रूप से जागृत और मसीह के हैं।
1 कुरिन्थियों 15:51–52 (ERV-HI)“51 सुनो, मैं तुम्हें एक रहस्य बताता हूँ: हम सब नहीं मरेंगे, पर सब बदले जायेंगे।52 बस एक पल में, आँख झपकते ही, जब अंतिम तुरही बजेगी… मृतक अखंड रूप में उठाये जायेंगे और हम भी बदल दिये जायेंगे।”
उस समय उठाये गये लोग स्वर्गीय यरूशलेम में प्रवेश करेंगे।
गलातियों 4:26 (ERV-HI)“पर जो यरूशलेम स्वर्ग में है, वह स्वतंत्र है और वही हमारी माता है।”
हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब प्रभु के आगमन के संकेत बहुत स्पष्ट हैं।इसलिए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है:
यदि तुरही आज बज जाए—क्या तुम प्रभु के साथ उठाये जाओगे?क्योंकि उसके बाद कृपा का द्वार बंद हो जाएगा, और संसार परमेश्वर का न्याय देखेगा(प्रकाशितवाक्य 6:16–17)।
समय बहुत कम है।यदि तुम्हारा संबंध मसीह से ठंडा है, तो आज ही उसकी ओर लौट आओ।वह हर उस व्यक्ति को स्वीकार करता है जो उसके पास आता है।
यूहन्ना 1:12 (ERV-HI)“पर जिन्हें भी उसने ग्रहण किया, और जो उसके नाम पर विश्वास करते हैं, उन्हें उसने परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार दिया।”
प्रभु तुम्हें आशीष
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