“चंगा करना” शब्द का अर्थ
“चंगा करना” का अर्थ है किसी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक या आत्मिक रोग से पूरी तरह स्वस्थ करना। बाइबल में यह केवल बीमारी से मुक्ति नहीं है, बल्कि परमेश्वर की उपस्थिति और उसके राज्य के प्रकट होने का एक स्पष्ट प्रमाण है। यह मसीह के छुटकारे की शक्ति को दर्शाता है।
यीशु मसीह ने अपने शिष्यों को बीमारों को चंगा करने का अधिकार और आज्ञा दी थी। यह सुसमाचार के प्रचार का एक मुख्य भाग था।
मत्ती 10:7-8 (ERV-HI):
“जहाँ जाओ वहाँ यह प्रचार करते जाओ कि ‘स्वर्ग का राज्य आ गया है।’
बीमारों को चंगा करो, मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, और दुष्टात्माओं को निकालो। तुम्हें जो निःशुल्क मिला है, वह निःशुल्क दे दो।”
यह स्पष्ट करता है कि चंगाई परमेश्वर के राज्य के आगमन का एक जीवंत प्रमाण थी। यह अधिकार शिष्यों की अपनी शक्ति पर नहीं, बल्कि मसीह द्वारा दिए गए अधिकार पर आधारित था (मत्ती 28:18-20 देखें)।
जब शिष्यों को यह अधिकार मिला, तब उन्होंने न केवल प्रचार किया, बल्कि बीमारों को चंगा करके यह दिखाया कि वही आत्मा जो यीशु में कार्यरत थी, अब उनके माध्यम से भी कार्य कर रही है।
मरकुस 6:12-13 (ERV-HI):
“इसलिये वे निकल पड़े और लोगों से यह कहने लगे कि वे मन फिरायें।
उन्होंने बहुत सी दुष्टात्माओं को निकाला और बहुत से बीमारों को तेल लगाकर चंगा किया।”
तेल का प्रयोग पवित्र आत्मा और अभिषेक का प्रतीक बन गया (याकूब 5:14 देखें)। यह चंगाई उनके संदेश की सच्चाई और परमेश्वर की उपस्थिति का प्रमाण थी।
चंगाई की सेवा केवल उन बारह शिष्यों तक सीमित नहीं थी जिन्हें यीशु ने आरंभ में चुना था। यह सेवा अन्य विश्वासियों के द्वारा भी जारी रही, जैसे कि पौलुस, स्तेफनुस और बरनबास।
प्रेरितों के काम 28:8-9 (ERV-HI):
“पुब्लियुस का पिता बुखार और पेचिश की बीमारी से पीड़ित था। पौलुस उसके पास गया, और प्रार्थना करके उस पर हाथ रखकर उसे चंगा कर दिया।
जब यह हुआ, तो उस द्वीप के अन्य बीमार लोग भी उसके पास आए और चंगे हो गये।”
यह दर्शाता है कि चंगाई की शक्ति पवित्र आत्मा के द्वारा पूरी कलीसिया में कार्यरत थी, न कि केवल बारह शिष्यों में।
यीशु ने कहा कि जो कोई भी विश्वास करेगा, उसके साथ यह चमत्कारी चिन्ह होंगे जिनमें बीमारों को चंगा करना भी शामिल है।
मरकुस 16:17-18 (ERV-HI):
“विश्वास करने वालों के साथ ये चिन्ह होंगे: वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे; नई भाषाएं बोलेंगे;
वे साँपों को उठाएँगे; और यदि वे कोई विष पी लें, तो वह उन्हें हानि नहीं पहुँचाएगा; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे और वे चंगे हो जाएंगे।”
यह वचन बताता है कि चंगाई की सेवा केवल प्राचीन समय तक सीमित नहीं है, बल्कि आज भी विश्वासियों के द्वारा कार्य करती है।
चंगाई केवल शरीर की बहाली नहीं है, बल्कि यह उस पूर्ण छुटकारे की झलक है जो परमेश्वर अंत समय में अपने लोगों को देगा।
प्रकाशितवाक्य 21:4 (ERV-HI):
“वह उनकी आँखों के सब आँसू पोंछ डालेगा। न वहाँ फिर मृत्यु रहेगी, न विलाप, न रोना, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।”
फिर भी, आज भी हमें बुलाया गया है कि हम प्रार्थना, विश्वास और प्रेम के साथ बीमारों के लिए सेवा करें, जैसे प्रारंभिक कलीसिया ने किया।
याकूब 5:14-15 (ERV-HI):
“यदि तुम में से कोई बीमार हो, तो वह कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाए कि वे उसके लिए प्रार्थना करें और प्रभु के नाम से उसे तेल लगाकर अभिषेक करें।
और विश्वास से की गई प्रार्थना रोगी को स्वस्थ करेगी; प्रभु उसे उठाएगा।”
यह हमें स्मरण कराता है कि आज भी चंगाई मसीही जीवन और कलीसिया की सेवा का एक जीवित भाग है।
यीशु मसीह कभी नहीं बदलते। उनका चंगाई का कार्य आज भी पवित्र आत्मा के द्वारा जीवित है।
इब्रानियों 13:8 (ERV-HI):
“यीशु मसीह काल, आज और सदा एक सा है।”
जब हम विश्वासपूर्वक सुसमाचार का प्रचार करते हैं और प्रार्थना करते हैं, तो हम परमेश्वर से यह अपेक्षा कर सकते हैं कि वह अपनी बात को चंगाई जैसे चमत्कारिक चिन्हों के द्वारा सिद्ध करेगा।
मरानाथा! प्रभु, तू आ जा!
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