ईश्वर की दिव्य योजना में, उन्होंने चर्च के लिए विभिन्न सेवाएँ और आध्यात्मिक उपहार स्थापित किए हैं, ताकि वे अपने लोगों को परिपूर्ण कर सकें, उन्हें सेवा के लिए तैयार कर सकें और अपनी राज्य को धरती पर आगे बढ़ा सकें। इन सभी भूमिकाओं का एक स्वस्थ और विकसित चर्च समुदाय के लिए महत्वपूर्ण योगदान है।
नए नियम (न्यू टेस्टामेंट) में पौलुस ने पाँच प्रमुख मंत्रालयों का वर्णन किया है, जो चर्च का नेतृत्व करें, वचन को सिखाएँ, और विश्वासी को सेवा के लिए तैयार करें (इफिसियों 4:11–13):
– प्रेरित (Apostles)
– भविष्यवक्ता (Prophets)
– सुसमाचार प्रचारक (Evangelists)
– झुंड का चरवाहा (यानी पादरी/Pastors)
– शिक्षक (Teachers)
इनके अतिरिक्त, चर्च में अन्य सहायक भूमिकाएं भी महत्वपूर्ण हैं—विशेषकर बुज़ुर्ग (Elders), बिशप (Bishops), और डीकन (Deacons)—जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन और व्यावहारिक ज़रूरतों दोनों के लिए ज़रूरी हैं।
बुज़ुर्गों की चरोंचायत सबसे पहले यहूदी परंपराओं में देखी जाती है, जहाँ पंचायत में निर्णय लेने के लिए बुज़ुर्ग माने जाते थे। न्यू टेस्टामेंट में, प्रेरित इस परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।
भूमिका और खासियतें:
बुज़ुर्ग आध्यात्मिक रूप से विकसित नेता होते हैं, जो चर्च की आध्यात्मिक सेहत की देखभाल, शिक्षा, मार्गदर्शन और सलाह देने के लिए ज़िम्मेदार हैं। न्यू टेस्टामेंट पत्रों में ये पद पुरुषों के लिए विनियोजित हैं।
बाइबिल में योग्यताएँ (1 तीमुथियुस 3:1–7; तीतुस 1:5–9)
परीपाटीय दायित्व:
शब्द “बिशप” अर्थ में ‘नियंत्रक’ या ‘अध्यक्ष’ होता है। यह एक क्षेत्र या कई चर्चों की निगरानी की भूमिका निभाता है।
युक्तियां:
1 तीमुथियुस 3:1–7 और तीतुस 1:5–9 में दी गई योग्यताओं की अपेक्षा बुज़ुर्गों जैसी ही है, किन्तु बिशप का कार्य क्षेत्र अपेक्षाकृत विस्तृत होता है।
भूमिका और जिम्मेदारियाँ:
डीकन चर्च की व्यावहारिक ज़रूरतों की देखभाल करने वाली सेवक भूमिका निभाते हैं। प्रेरितों के समय की प्रेरितों के काम 6 की घटना इसका प्रमाण है।
योग्यताएँ (1 तीमुथियुस 3:8–13)
सेवा क्षेत्र:
ये भूमिकाएं प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं, बल्कि एक दूसरे की पूरक हैं – यीशु मसीह की एक संपूर्ण सेवकाइश की अभिव्यक्ति:
ईश्वर इन महत्वपूर्ण पदों के लिए विश्वासपात्र पुरुषों और महिलाओं को बुलाए, ताकि चर्च की उन्नति और परमेश्वर के राज्य की महिमा बढ़ती रहे।
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