क्या परमेश्वर ने दो महायाजकों को एक ही समय में सेवा करने की अनुमति दी थी?
लूका 3:2
“अनन्य और कैफा के महायाजक होने के समय परमेश्वर का वचन जंगल में जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास आया।” (ERV)
यह सच है कि प्रभु यीशु के समय में दो महायाजक एक साथ सेवा कर रहे थे। यह बात परमेश्वर की व्यवस्था के विपरीत थी, क्योंकि व्यवस्था के अनुसार एक समय में केवल एक ही महायाजक होता था, और उसकी सेवा मृत्यु तक रहती थी। नए महायाजक की नियुक्ति तभी होती जब पुराना मर जाता। तो फिर, उस समय दो क्यों थे?
असल में, महायाजक का पद पहले अनन्य (Annas) के पास था। परंतु उस समय यहूदिया पर शासन करने वाली रोमी सरकार ने राजनीतिक कारणों से अनन्य को पद से हटा दिया और उसके जमाई कैफा (Caiaphas) को नियुक्त किया।
रोमियों के लिए यहूदी धर्म का महायाजक पद अत्यंत प्रभावशाली था। उन्हें डर था कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक उस पद पर बना रहा, तो वह जनता पर बहुत प्रभाव जमा सकता है और विद्रोह कर सकता है। इसलिए उन्होंने यहूदियों की धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप कर के महायाजकों को समय-समय पर जबर्दस्ती पद से हटा दिया।
यानी कि रोमियों के अनुसार “मृत्यु तक सेवा” का नियम नहीं था। वे चाहें तो किसी भी समय महायाजक को हटा देते थे। यही बात अनन्य के साथ हुई उसे पद से हटाया गया और उसकी जगह कैफा को बिठाया गया। परंतु यह परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन था।
यूहन्ना 18:13
“वे यीशु को पहले अनन्य के पास ले गए; क्योंकि वह कैफा का ससुर था, जो उस वर्ष का महायाजक था।” (ERV)
हालाँकि रोमियों ने कैफा को नियुक्त किया था, फिर भी यहूदी लोग अब भी अनन्य का अधिक आदर करते थे और उसे ही सच्चा महायाजक मानते थे। वे कैफा को भी स्वीकारते थे क्योंकि वही धार्मिक कार्यों का संचालन कर रहा था।
इसीलिए जब प्रभु यीशु को पकड़ा गया, तो उन्हें पहले अनन्य के पास और फिर कैफा के पास ले जाया गया यह दर्शाता है कि यहूदी अब भी अनन्य को आदर देते थे, भले ही वह पद से हट चुका था।
इस कारण दोनों को ही महायाजक कहा गया।
भ्रम और विभाजन।
यह कोई आश्चर्य नहीं कि उस समय की धार्मिक व्यवस्था मसीह को पहचान नहीं सकी, यद्यपि वह उनके बीच में हर प्रकार से प्रकट हुआ था।
यहूदी धर्म पहले से ही कई भागों में बँटा हुआ था महायाजकों के अलावा वहाँ फरीसी, शास्त्री, और अनेक अन्य धार्मिक गुट थे।
आज भी यही स्थिति है। असंख्य संप्रदाय और धार्मिक संस्थाएँ यह मानती हैं कि परमेश्वर उनके साथ है, परंतु प्रश्न यह है क्या वास्तव में मसीह उन सब में हैं?
जरा उस समय की स्थिति पर विचार करें…
सच्चे महायाजक यीशु मसीह गरीबों को खुशखबरी सुनाते हुए, शैतान के बंधनों में फँसे लोगों को मुक्त करते हुए, कैदियों को छुड़ाते हुए (देखें लूका 4) धरती पर घूम रहे थे।
उन्होंने कोई नया धर्म या संगठन नहीं बनाया, न कोई प्रतियोगिता की, न कोई संस्था खड़ी की। उनका उद्देश्य केवल यह था लोगों को पाप और बंधनों से मुक्त करना।
संस्थाएँ बुरी नहीं हैं, वे उपयोगी हो सकती हैं, परंतु प्रश्न यह है कि क्या उनमें आज भी मसीह के कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है?
तीनों “महायाजकों” में अनन्य, कैफा, और मसीह केवल मसीह ही थे जिन्हें परमेश्वर ने स्वीकार किया।
इसलिए, उसी का अनुसरण करो।
आमीन।
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