(रोमियों 12:11)
📖 रोमियों 12:11
“अपनी सेवा में आलसी मत बनो, बल्कि आत्मिक जोश से प्रभु की सेवा करते रहो।” (ERV-HI)
“परिश्रम” का अर्थ है किसी काम को करने की आंतरिक प्रेरणा या उत्साह। लेकिन हर व्यक्ति जिसके अंदर परिश्रम है, उसके अंदर जुहद (यानी कि मेहनत को कर्म में बदलने की लगन) जरूरी नहीं होती।
उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति किसी काम की योजना बनाने में बहुत परिश्रमी हो सकता है, लेकिन उसे अमल में लाने में असफल रह सकता है।
जबकि “जुहद” उससे एक कदम आगे है यह किसी कार्य को वास्तविक रूप से करने की तत्परता है। जैसे एक व्यक्ति खेती की योजनाएँ बनाने में परिश्रमी है, लेकिन जब वह खुद खेत में जाकर मेहनत करता है, वही उसकी जुहद कहलाती है।
इसी तरह, कोई व्यक्ति आत्मिक जीवन में बढ़ने के लिए बहुत-सी आत्मिक पुस्तकें खरीद सकता है यह उसकी परिश्रम है। पर जब वह सच में उन पुस्तकों को पढ़ता है, उन बातों को जीवन में अपनाता है, और आत्मिक रूप से फल देता है यही उसकी जुहद है।
या फिर, कोई व्यक्ति प्रेम, विश्वास, प्रार्थना या उद्धार के विषयों को जानने में तो परिश्रमी हो सकता है, लेकिन अगर वह उन बातों को जीवन में अमल नहीं करता, तो उसका परिश्रम बेकार है।
बाइबल हमें सिखाती है कि हमें केवल परिश्रमी नहीं, बल्कि जुहद करने वाले भी होना चाहिए।
केवल परिश्रम रखकर जुहद न करना व्यर्थ है, क्योंकि जुहद ही आत्मिक लक्ष्य को पाने की मुख्य कुंजी है।
📖 तीतुस 2:14
“जिसने अपने आप को हमारे लिए दे दिया ताकि हमें हर तरह की बुराई से छुड़ाए और अपने लिए एक ऐसा विशेष लोगों का समूह बनाए जो अच्छे काम करने में उत्साही हों।” (ERV-HI)
इसलिए, केवल सीखने में परिश्रम करना ही काफी नहीं, बल्कि करने में जुहद दिखाना भी उतना ही आवश्यक है यही बाइबल की सच्ची शिक्षा है।
📖 1 पतरस 3:13
“अगर तुम भलाई करने में उत्साही हो, तो कौन तुम्हें नुकसान पहुँचा सकता है?” (ERV-HI)
📖 1 पतरस 4:8
“सबसे बढ़कर, एक-दूसरे से गहरी प्रेम रखो, क्योंकि प्रेम बहुत से पापों को ढक देता है।” (ERV-HI)
प्रभु हमें ऐसा बनने में सहायता दे। 🙏
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