यशायाह 35:8 (Pavitra Bible – Hindi O.V.): “वहाँ एक राजमार्ग होगा, जिसे ‘पवित्रता का मार्ग’ कहा जाएगा;अशुद्ध लोग उस पर नहीं चल सकेंगे। यह केवल उनके लिए होगा जो इस मार्ग पर चलने के योग्य हैं;मूर्ख भी उस पर भटकेंगे नहीं।” यह भविष्यवाणी उद्धार, पवित्रीकरण, और परमेश्वर की उपस्थिति तक पहुँचने के एकमात्र मार्ग के बारे में गहरी आत्मिक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। 1. यह मार्ग परमेश्वर की ओर से है “पवित्रता का मार्ग” कोई मानवीय योजना नहीं है, बल्कि परमेश्वर का दिया हुआ मार्ग है। यह उसके लोगों के लिए ठहराया गया है कि वे उसकी धार्मिकता और पवित्रता में चलें। यह बाइबल की उस शिक्षा के साथ मेल खाता है कि उद्धार और पवित्रीकरण केवल परमेश्वर की अनुग्रह से होते हैं, न कि हमारे कार्यों से। इफिसियों 2:8–9: “क्योंकि अनुग्रह से तुम विश्वास के द्वारा उद्धार पाए हो;और यह तुम्हारी ओर से नहीं, यह परमेश्वर का वरदान है;यह कामों के कारण नहीं, ऐसा न हो कि कोई घमंड करे।” 2. यह मार्ग केवल पवित्रों के लिए है यशायाह स्पष्ट करता है कि अशुद्ध इस मार्ग पर नहीं चल सकते। इसका अर्थ है कि परमेश्वर की उपस्थिति में पहुँचने के लिए पवित्रता अनिवार्य है। नए नियम में यह बात और स्पष्ट होती है, जब यीशु मसीह के प्रायश्चित द्वारा विश्वासियों को पाप से शुद्ध किया जाता है। 1 यूहन्ना 1:7: “पर यदि हम ज्योति में चलें, जैसा वह ज्योति में है,तो हम एक दूसरे के साथ सहभागिता रखते हैं,और उसका पुत्र यीशु का लहू हमें सब पाप से शुद्ध करता है।” 3. यीशु मसीह इस मार्ग की परिपूर्णता हैं यीशु मसीह स्वयं पवित्रता के मार्ग की पूर्णता हैं। उन्होंने कहा: यूहन्ना 14:6: “यीशु ने उससे कहा, ‘मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ;बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं आता।'” केवल यीशु के द्वारा ही हम परमेश्वर के पास पहुँच सकते हैं। वही हमें पवित्र करता है और धार्मिकता में चलने की सामर्थ देता है। 4. पवित्र आत्मा की भूमिका पवित्रता के मार्ग पर चलने के लिए पवित्र आत्मा की भूमिका अत्यंत आवश्यक है। वही हमें पाप के लिए दोषी ठहराता है, धर्म का जीवन जीने की शक्ति देता है, और हमें सत्य में मार्गदर्शन करता है। यूहन्ना 16:13: “जब वह, अर्थात सत्य का आत्मा आएगा,तो तुम्हें सारे सत्य का मार्ग बताएगा।” पवित्र आत्मा के कार्य के बिना इस मार्ग पर चलना असंभव है। 5. अंतिम आशा की ओर संकेत “पवित्रता का मार्ग” भविष्य की उस आशा की ओर संकेत करता है जब हम नए यरूशलेम में परमेश्वर के साथ सदैव निवास करेंगे। प्रकाशितवाक्य 21:27: “और उसमें कोई अशुद्ध वस्तु,या घृणित और झूठ बोलने वाला कोई नहीं जाएगा,केवल वे ही जिनके नाम जीवन के मेम्ने की पुस्तक में लिखे हैं।” 6. इस मार्ग का आध्यात्मिक अर्थ इस पवित्र मार्ग की बाइबिल में गहरी धार्मिक अर्थवत्ता है: पवित्रीकरण: यह एक प्रक्रिया है जिसमें पवित्र आत्मा के द्वारा विश्वासियों को पवित्र बनाया जाता है। विशिष्टता: परमेश्वर तक पहुँचने का मार्ग केवल मसीह के द्वारा है और यह पवित्रता मांगता है। निजात का अंतिम लक्ष्य: इस मार्ग का अंत शाश्वत जीवन है, परमेश्वर की उपस्थिति में, जहाँ कोई पाप नहीं होगा। 7. विश्वासियों के लिए व्यवहारिक अनुप्रयोग हर मसीही विश्वासी को इस पवित्र मार्ग पर चलने के लिए बुलाया गया है: पवित्र जीवन की खोज करें: परमेश्वर की आज्ञाओं के अनुसार जीना और पवित्र आत्मा से शक्ति पाना। मसीह में बने रहें: यह पहचानना कि उसके बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते। यूहन्ना 15:5: “मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो;जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें,वही बहुत फल लाता है;क्योंकि मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।” आगामी महिमा की प्रतीक्षा करें: नए यरूशलेम में परमेश्वर के साथ अनंतकालीन संगति की आशा। आप परमेश्वर की शांति और अनुग्रह से भरपूर रहें!