मसीही विश्वास में जब कोई कहता है, “मुझे परमेश्वर की सेवा के लिए बुलाया गया है,” तो इसका अर्थ है कि उसने यह समझा है कि परमेश्वर ने उसे अपनी इच्छा पूरी करने के लिए चुनकर बुलाया है। यह बुलाहट कोई मजबूरी नहीं है, बल्कि यह परमेश्वर की ओर से एक दिव्य निमंत्रण है—उसके उद्धार योजना में भाग लेने के लिए।
बाइबल में यह सत्य इन वचनों के माध्यम से प्रकट होता है:
रोमियों 8:28–30
“हम जानते हैं, कि सब बातें मिलकर परमेश्वर से प्रेम रखने वालों के लिये, अर्थात् उसके उद्देश्य के अनुसार बुलाए गए लोगों के लिये भलाई ही को उत्पन्न करती हैं। क्योंकि जिन्हें उसने पहले से जान लिया, उन्हें उसने पहले से ठहराया भी कि वे उसके पुत्र के स्वरूप में हों… और जिन्हें उसने ठहराया, उन्हें बुलाया भी; और जिन्हें उसने बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया; और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी।”
इफिसियों 2:10
“क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए हैं जिन्हें परमेश्वर ने पहले से हमारे करने के लिये तैयार किया, कि हम उन में चलें।”
यह बुलाहट सामान्य भी हो सकती है—जैसे रोज़मर्रा के जीवन में परमेश्वर की सेवा करना—या विशेष भी, जैसे कि मिशनरी सेवा, पास्टरी, या किसी अन्य मसीही सेवा में।
नए नियम में वर्णित बाइबल की नगरियाँ
तब और अब – एक सूची
(अनुवाद: नई अंतरराष्ट्रीय संस्करण – NIV)
नए नियम में कई नगरों का उल्लेख है जो प्रारंभिक मसीही प्रचार और सेवकाई के केंद्र बने। इनके आधुनिक नाम और स्थान हमें बाइबिल कथा को ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से समझने में सहायता करते हैं:
बाइबिल नाम | बाइबिल संदर्भ | आधुनिक नाम | वर्तमान देश |
---|---|---|---|
अन्ताकिया | प्रेरितों के काम 11:26 | अन्ताक्या | तुर्की |
कैसरिया | प्रेरितों के काम 23:23 | कैसरिया | इज़राइल |
एफिसुस | प्रेरितों के काम 19:35 | सेल्चुक | तुर्की |
फिलिप्पी | प्रेरितों के काम 16:12 | फिलिप्पी | यूनान |
थिस्सलुनीका | प्रेरितों के काम 17:1 | थेस्सलोनिकी | यूनान |
ये नगर उस समय मसीह की खुशखबरी फैलाने के प्रमुख केंद्र थे।
पुराने नियम में वर्णित बाइबल की नगरियाँ
तब और अब – एक सूची
(अनुवाद: नई अंतरराष्ट्रीय संस्करण – NIV)
पुराने नियम की कई घटनाएँ ऐतिहासिक और आत्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगरों में हुईं:
बाइबिल नाम | बाइबिल संदर्भ | आधुनिक नाम | वर्तमान देश |
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बेतएल | उत्पत्ति 28:19 | बेतिन | फिलिस्तीन |
आइ | यहोशू 7:2 | देइर दीबवान | फिलिस्तीन |
शित्तीम | यहोशू 2:1 | तल एल-हम्माम | जॉर्डन |
ये वे स्थान हैं जहाँ परमेश्वर ने स्वयं को प्रकट किया, आदेश दिए या अपनी महिमा दिखाई।
यीशु के प्रेरित
नाम, विवरण और आत्मिक महत्व
(संदर्भ: NIV)
यीशु ने अपने प्रेरितों को व्यक्तिगत रूप से बुलाया ताकि वे उनके निकटतम अनुयायी बनें और उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान के बाद सुसमाचार को फैलाएँ। प्रेरितों की बुलाहट दर्शाती है कि परमेश्वर साधारण लोगों को विशेष कार्यों के लिए चुनता है।
मरकुस 3:13-19, प्रेरितों के काम 1:15-26
क्रम | नाम | अन्य नाम | बाइबिल संदर्भ | भूमिका और आत्मिक अर्थ |
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1 | शमौन पतरस | केफा (यूहन्ना 1:42) | मत्ती 16:18–19 | “चट्टान” जिस पर मसीह ने अपनी कलीसिया बनाई |
2 | अन्द्रियास | — | यूहन्ना 1:40–42 | दूसरों को यीशु के पास लाने वाला |
3 | याकूब | जब्दी का पुत्र | प्रेरितों के काम 12:1–2 | पहले शहीद होने वाले प्रेरित |
4 | यूहन्ना | “प्रेमी शिष्य” | यूहन्ना 21:20–24 | प्रेम पर केंद्रित लेखन, रहस्योद्घाटन का लेखक |
5 | मत्ती | लेवी | मत्ती 9:9 | पूर्व में कर वसूलने वाला, प्रथम सुसमाचार का लेखक |
… | … | … | … | … |
इन प्रेरितों का जीवन परमेश्वर की बुलाहट, विश्वास, और मिशन को दर्शाता है।
बाइबिल के भविष्यवक्ता (पुरुष)
महान भविष्यवक्ता और उनका ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
(अनुवाद: NIV)
भविष्यवक्ता परमेश्वर के दूत थे। वे इस्राएल और अन्य जातियों को चेतावनी देने, पश्चाताप का आह्वान करने, और आने वाले मसीहा की भविष्यवाणी करने के लिए बुलाए गए थे। उनका संदेश इतिहास और उद्धार की योजना को आकार देता है।
क्रम | नाम | समय और राजा | श्रोता | आत्मिक भूमिका |
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1 | एलिय्याह | अहाब, अहज्याह | इस्राएल का राज्य | परमेश्वर की वाचा की ओर लौटने का आह्वान (1 राजा 18) |
2 | एलीशा | यहोराम, येहू | इस्राएल का राज्य | चमत्कारों द्वारा परमेश्वर की सामर्थ दिखाना |
3 | योना | यारोबाम द्वितीय | नीनवे (अश्शूर) | पश्चाताप का संदेश, अन्यजातियों पर परमेश्वर की दया |
4 | यशायाह | उज्जियाह, हिजकिय्याह | यहूदा | मसीहा और उद्धार की भविष्यवाणी (यशायाह 53) |
5 | यिर्मयाह | योशिय्याह, यहोयाकीम | यहूदा | बंधुआई से पहले पश्चाताप का आह्वान; नए वाचा की घोषणा |
… | … | … | … | … |
शालोम।
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