बाइबिल में “अंगों” की समझ

बाइबिल में “अंगों” की समझ

जब हम बाइबल में “limbs” या “शरीर के अंगों” की बात करते हैं, तो यह शब्द इंसानों और जानवरों के शारीरिक हिस्सों—जैसे हाथ, पाँव, और शरीर की रचना—को दर्शाने के लिए इस्तेमाल होता है। भले ही अंग्रेज़ी बाइबल के कुछ अनुवादों में यह शब्द सीधे तौर पर न दिखे, लेकिन यह विचार कि शरीर के ये अंग दुर्बलता, पीड़ा और परमेश्वर के न्याय के अधीन हो सकते हैं, कई स्थानों पर साफ दिखाई देता है।

बाइबल में कुछ उदाहरण

अय्यूब 17:7
“मेरी आंखें शोक के मारे बुझ गई हैं, और मेरे सब अंग छाया के समान हो गए हैं।” (अय्यूब 17:7, हिंदी यूनियन बाइबिल)

यहाँ पर अय्यूब गहरे दुःख और थकान का अनुभव कर रहा है। उसकी आंखें धुंधली हो चुकी हैं और उसके अंग जैसे बस परछाई रह गए हों। यह एक ऐसे व्यक्ति की हालत दिखाता है जिसकी आत्मा और शरीर दोनों ही टूट चुके हैं—अंदर की पीड़ा शरीर के अंगों में भी झलक रही है।

अय्यूब 18:13
“उसकी खाल के अंग-अंग नष्ट हो जाएंगे; मृत्यु का ज्येष्ठ पुत्र उसके अंगों को खा जाएगा।” (अय्यूब 18:13, हिंदी यूनियन बाइबिल)

यहाँ “अंगों” का ज़िक्र उस विनाशकारी ताक़त के बारे में है जो पाप और मृत्यु से आती है। यह पद हमें याद दिलाता है कि हमारा शरीर कितना नाज़ुक है, और कैसे परमेश्वर का न्याय या पतित संसार की स्थिति हमें भीतर और बाहर से प्रभावित करती है।

अय्यूब 41:12
“मैं उसकी अंगों की चर्चा नहीं करूंगा, न उसकी शक्ति की, और न उसकी शोभा की।” (अय्यूब 41:12, हिंदी यूनियन बाइबिल)

यहाँ अय्यूब एक महान जीव—संभवत: लिव्यातान—का ज़िक्र कर रहा है। वह उसके अंगों, ताक़त और सुंदरता को बयान करने से भी हिचकिचा रहा है। यह दर्शाता है कि कुछ चीज़ें इतनी महान होती हैं कि उन्हें पूरी तरह समझना हमारे बस की बात नहीं। यह हमें परमेश्वर की रचना की महिमा और हमारी सीमित समझ की याद दिलाता है।


आत्मिक विचार

शरीर: हमारी हालत का दर्पण

इन उदाहरणों में शरीर के अंगों की बात सिर्फ शारीरिक संरचना के रूप में नहीं हो रही—बल्कि यह गवाही है हमारी आंतरिक दशा की। जब हम पीड़ा में होते हैं, तो हमारा शरीर भी उसकी गवाही देता है। हमारा दुर्बल शरीर हमारे भीतर की टूटन और आत्मिक थकावट को भी प्रकट करता है।

न्याय और उद्धार की दिशा में

इन पदों में शरीर की कमजोरी, टूटन और नाशिलता यह भी याद दिलाती है कि हम एक पतित संसार में रहते हैं। लेकिन यही बाइबिल हमें यह भी आशा देती है—खासकर नए नियम में—कि यह नश्वर शरीर एक दिन बदला जाएगा। पुनरुत्थान की आशा हमें बताती है कि जो आज क्षणिक है, वही एक दिन अनंत और महिमामयी होगा।

मानवता का सम्पूर्ण दृष्टिकोण

इन सभी पदों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि बाइबिल की दृष्टि में मनुष्य केवल आत्मा नहीं है—वह शरीर और भावना से भी जुड़ा है। शरीर की देखभाल, आत्मा की देखभाल से अलग नहीं है। जब हम अपने अंगों को आदर देते हैं, तो हम परमेश्वर की रचना का आदर कर रहे होते हैं। और जब हम आत्मिक नवीकरण की ओर बढ़ते हैं, तो वह सम्पूर्ण मनुष्य के लिए होता है—अंदर और बाहर दोनों।


निष्कर्ष

अंत में कहा जा सकता है कि बाइबल में जब “अंगों” की बात होती है, तो वह केवल शरीर के हिस्सों का उल्लेख नहीं करता—बल्कि वह हमारे जीवन की नाजुकता, पीड़ा, परमेश्वर के न्याय, और साथ ही उद्धार की आशा की भी झलक देता है। यह हमें बुलाता है कि हम अपने शरीर और आत्मा दोनों को परमेश्वर के सामने रखें, ताकि वह हमें सम्पूर्ण रूप में नया कर सके।

शालोम।

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Ester yusufu editor

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