फिलिप्पियों 2:1-2 (पवित्र बाइबल: Hindi O.V.) “इसलिये यदि मसीह में कोई समझाना है, यदि प्रेम से कोई शान्ति है, यदि आत्मा की कोई सहभागिता है, यदि कोमल करुणा और दया है,तो मेरी यह आनन्द को पूरा करो कि तुम एक ही मन के हो, एक ही प्रेम रखते हो, एक ही चित्त और एक ही मन रखते हो।” पौलुस ‘प्यार की सांत्वना’ से क्या कहना चाहता है? “प्यार की सांत्वना” से तात्पर्य उस आंतरिक शांति, सुरक्षा और आत्मिक बल से है जो हमें मसीह के प्रेम के द्वारा प्राप्त होता है। यह कोई भावुक या रोमांटिक प्रेम नहीं, बल्कि ईश्वर की अगापे (Agape) – अर्थात निष्कलंक, अटल और अनुग्रही प्रेम – है, जो बिना किसी शर्त के हमें दिया जाता है। रोमियों 5:5 — “क्योंकि जो पवित्र आत्मा हमें दिया गया है, उसी के द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मनों में उंडेला गया है।”1 यूहन्ना 4:10 — “प्रेम hierin है: न कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया, परन्तु उसी ने हम से प्रेम किया और अपने पुत्र को हमारे पापों का प्रायश्चित्त करनेवाले के रूप में भेजा।” पौलुस जब ‘प्यार की सांत्वना’ का ज़िक्र करता है, तो वह उस दिव्य प्रेम की ओर इशारा करता है जो हमें संदेह, पीड़ा और कठिनाइयों के बीच आत्मिक स्थिरता और दिलासा देता है। यह चार आत्मिक आशीषों में से एक है जो मसीही कलीसिया को एकता में बाँधती हैं: मसीह में प्रोत्साहन प्रेम से मिलने वाली सांत्वना आत्मा की सहभागिता दया और करुणा ग्रीक भाषा में जो “यदि” शब्द प्रयुक्त हुआ है (εἰ), उसका अर्थ इस सन्दर्भ में “चूँकि” या “क्योंकि” है। इसका तात्पर्य है: “क्योंकि ये आशीषें हमारे बीच सच्चाई हैं”, इसलिए हमें प्रेम, नम्रता और एकता में जीना चाहिए। सच्ची सांत्वना का स्रोत: मसीह का प्रेम इस सांत्वना को गहराई से समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि मसीह का प्रेम क्या है। यह ऐसा प्रेम है जिसे कमाया नहीं जा सकता, जो परिस्थितियों पर निर्भर नहीं और जो सदा अटल है। रोमियों 8:38-39 —“क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य,न सामर्थ्य, न ऊंचाई, न गहराई, और न कोई और सृष्टि की वस्तु, हमें परमेश्वर के उस प्रेम से जो हमारे प्रभु यीशु मसीह में है, अलग कर सकेगी।” जो कोई मसीह में विश्वास और पश्चाताप के द्वारा आता है, वह इस प्रेम में स्थिर और सुरक्षित होता है। यह सुनिश्चितता हमारी आत्मा को वह “शान्ति” देती है जो किसी बाहरी चीज़ से नहीं मिल सकती। मत्ती 11:28-29 —“हे सब परिश्रमी और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।मेरा जूआ अपने ऊपर लो, और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन से दीन हूँ, और तुम्हारी आत्माओं को विश्राम मिलेगा।” प्यार की सांत्वना हमारे भीतर क्या उत्पन्न करती है? शांति – क्योंकि हम जानते हैं कि हम परमेश्वर द्वारा सम्पूर्ण रूप से प्रेम किए गए हैं। निश्चयता – कोई भी शक्ति हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकती। एकता – जब हम स्वयं को प्रेमित महसूस करते हैं, तब हम दूसरों को भी वैसे ही प्रेम कर सकते हैं। आत्मिक विश्राम – हमें परमेश्वर के प्रेम को साबित नहीं करना, केवल उसमें जीना है। यशायाह के द्वारा दी गई सांत्वना की भविष्यवाणी ईश्वर का यह प्रेममय सांत्वना का वादा केवल नये नियम में ही नहीं, बल्कि पुराने नियम में भी बार-बार दोहराया गया है। यशायाह भविष्यवक्ता ने आने वाले मसीह के माध्यम से उस सांत्वना की घोषणा पहले ही कर दी थी: यशायाह 40:1-2 —“मेरे लोगों को शान्ति दो, शान्ति दो, यह तुम्हारा परमेश्वर कहता है।यरूशलेम से कोमल वाणी में बोलो और उसके विषय में प्रचार करो, कि उसकी कठिन सेवा पूरी हुई, उसकी अधर्म क्षमा हो गई है…” यह प्रतिज्ञा मसीह यीशु में पूरी होती है, जिसने हमारे पापों का दण्ड उठाया और हमें परमेश्वर से मेल मिलाप कराया। 2 कुरिन्थियों 5:18 — “परमेश्वर ने मसीह के द्वारा हमें अपने साथ मेल कराया और मेल मिलाने का कार्य हमें सौंपा।” क्या तुमने मसीह की प्रेमपूर्ण सांत्वना पाई है? क्या आज तुम मसीह में उस शांति और विश्राम को अनुभव कर रहे हो – या अब भी डर, दोष और अशांति से जूझ रहे हो? यूहन्ना 14:27 —“मैं तुम्हें शांति देता हूँ, अपनी शांति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, वैसा नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे।” यदि तुमने अभी तक यीशु को अपने उद्धारकर्ता और प्रभु के रूप में नहीं अपनाया है, तो वह आज भी तुम्हें बुला रहा है: प्रकाशितवाक्य 3:20 —“देखो, मैं द्वार पर खड़ा होकर खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरी आवाज़ सुनकर द्वार खोल दे, तो मैं उसके पास भीतर आऊँगा और उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ।” मरानाथा — प्रभु आ रहा है!
मुख्य वचनइफिसियों 4:11–12“और उसी ने किसी को प्रेरित, किसी को भविष्यद्वक्ता, किसी को सुसमाचार सुनानेवाला, और किसी को पासबान और शिक्षक ठहराया। ताकि पवित्र लोगों को सेवा के काम के लिये तैयार करें, मसीह की देह को उन्नति देने के लिये।”(इफिसियों 4:11-12, पवित्र बाइबल: हिंदी O.V.) यह पद यह प्रकट करता है कि यीशु मसीह ने पाँच प्रकार की सेवकाई नियुक्त की ताकि उसकी कलीसिया को नेतृत्व, प्रशिक्षण और परिपक्वता में लाया जा सके। ये सेवकाई व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि विश्वासियों की एकता और आत्मिक विकास के लिए दी गई हैं। 1. प्रेरित (Apostles) यूनानी शब्द: apostolos (“भेजा गया”)भूमिका: प्रेरित नए क्षेत्रों में कलीसिया की स्थापना करनेवाले अग्रदूत होते हैं। वे सुसमाचार को फैलाते हैं और उन स्थानों में कलीसियाएँ शुरू करते हैं जहाँ मसीह का नाम नहीं सुना गया होता। बाइबिल उदाहरण: यीशु द्वारा चुने गए बारह प्रेरित (मत्ती 10:2–4) पौलुस, जिसे यीशु ने पुनरुत्थान के बाद प्रेरित ठहराया (गलातियों 1:1; 1 कुरिन्थियों 15:8–10) धार्मिक टिप्पणी:प्रेरित आत्मिक अधिकार के साथ सेवा करते हैं और उनके माध्यम से चिन्ह और अद्भुत कार्य होते हैं (2 कुरिन्थियों 12:12)। हालाँकि बाइबिल-लेखक प्रेरित अद्वितीय थे, पर प्रेरितिक कार्य आज भी नए मिशनों और कलीसिया की अगुवाई के रूप में जारी हैं। 2. भविष्यवक्ता (Prophets) यूनानी शब्द: prophētēs (“जो परमेश्वर का सन्देश बोलता है”)भूमिका: भविष्यवक्ता परमेश्वर की वाणी सुनते और उसे कलीसिया के लिए चेतावनी, उत्साहवर्धन या दिशा के रूप में बताते हैं। बाइबिल उदाहरण: अगबुस ने अकाल और पौलुस की गिरफ्तारी की भविष्यवाणी की (प्रेरितों के काम 11:27–30; 21:10–11) धार्मिक टिप्पणी:नए नियम की भविष्यवाणी पुराने नियम से भिन्न है – यह अधिकतर प्रोत्साहन और प्रकाशनात्मक होती है, और कभी भी शास्त्र के विरुद्ध नहीं होती (1 थिस्सलुनीकियों 5:20–21)। भविष्यवक्ता कलीसिया को परमेश्वर की इच्छा में स्थिर रखने में सहायता करते हैं। 3. सुसमाचार प्रचारक (Evangelists) यूनानी शब्द: euangelistēs (“सुसमाचार सुनानेवाला”)भूमिका: ये प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार को अविश्वासियों तक पहुँचाते हैं, उन्हें पश्चाताप और विश्वास के लिए बुलाते हैं। बाइबिल उदाहरण: फिलिप्पुस ने सामरिया में प्रचार किया और बहुतों को प्रभु में लाया (प्रेरितों के काम 8:5–40) धार्मिक टिप्पणी:सुसमाचार प्रचार कलीसिया की वृद्धि के लिए अनिवार्य है और यह मसीह की महान आज्ञा को पूरा करता है (मत्ती 28:19–20)। प्रचारक लोगों के दिलों को खोलते हैं और पासबानों व शिक्षकों के साथ मिलकर उन्हें शिष्यत्व में लाते हैं। 4. पासबान (Pastors) यूनानी शब्द: poimēn (“गड़ेरिया” या “चरवाहा”)भूमिका: पासबान स्थानीय कलीसिया की देखभाल, मार्गदर्शन और आत्मिक सुरक्षा करते हैं। योग्यताएँ:1 तीमुथियुस 3:1–7 और तीतुस 1:5–9 में दी गई हैं – जो चरित्र, शिक्षण क्षमता और नैतिकता पर बल देती हैं। धार्मिक टिप्पणी:पासबान मसीह जैसे होते हैं, जो अच्छे चरवाहे हैं (यूहन्ना 10:11)। नए नियम में पासबान, प्राचीन और बिशप की भूमिका में ओवरलैप होता है, और उनका कार्य कलीसिया की चरवाही करना है, न कि शासक बनना। 5. शिक्षक (Teachers) यूनानी शब्द: didaskalos (“शिक्षा देनेवाला”)भूमिका: शिक्षक परमेश्वर के वचन को स्पष्टता से सिखाते हैं, ताकि विश्वासियों को सिद्धांत समझ में आए और वे शास्त्र को अपने जीवन में लागू कर सकें। बाइबिल उदाहरण: पौलुस स्वयं प्रेरित और शिक्षक दोनों था (1 तीमुथियुस 2:7) धार्मिक टिप्पणी:शिक्षण आत्मिक वृद्धि और झूठे सिद्धांतों से रक्षा के लिए आवश्यक है (याकूब 3:1)। सच्चे शिक्षक शास्त्र में दृढ़ होते हैं और सांसारिक प्रभावों से बचते हैं (2 तीमुथियुस 4:3–4)। पाँचों सेवकाइयों का परस्पर संबंध ये पाँचों सेवकाइयाँ एक साथ कार्य करती हैं ताकि संतों को सेवा के लिए तैयार किया जाए और मसीह की देह आत्मिक परिपक्वता में बढ़े (इफिसियों 4:12–13)। एक व्यक्ति में एक से अधिक सेवकाई की अभिव्यक्ति हो सकती है – जैसे पौलुस प्रेरित और शिक्षक दोनों था। अंतिम आध्यात्मिक विचार ये सेवकाइयाँ मसीह द्वारा आत्मा के माध्यम से कलीसिया को दी गई हैं ताकि जब तक सभी विश्वास एकता और आत्मिक परिपक्वता में न पहुँच जाएँ, तब तक उनका निर्माण होता रहे (इफिसियों 4:13)। ये सेवकाइयाँ प्रसिद्धि या लाभ के लिए नहीं, बल्कि सेवा और आत्मिक निर्माण के लिए हैं। क्या आपने मसीह और पवित्र आत्मा को ग्रहण किया है? प्रेरितों के काम 2:38“पतरस ने उनसे कहा, ‘मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लो; तब तुम पवित्र आत्मा का वरदान पाओगे।’” यीशु मसीह को स्वीकार करना और पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना इन सेवकाई भूमिकाओं में बढ़ने और कार्य करने का मूल आधार है। मारानाथा! (प्रभु आ रहा है!)