“भजन संहिता” का क्या अर्थ है?

“भजन संहिता” का क्या अर्थ है?

शब्द यूनानी शब्द  से आया है, जिसका अर्थ है “ऐसे गीत जो सारंगी या वीणा के साथ गाए जाते हैं।” इब्रानी भाषा में इसे “तेहिल्लीम”  कहा जाता है, जिसका अर्थ है “स्तुतियाँ।” यह इस पुस्तक के उद्देश्य को दर्शाता है — परमेश्वर की स्तुति, आराधना, विलाप, धन्यवाद और समर्पण में गाए गए गीत और प्रार्थनाएँ।


भजन संहिता की प्रकृति और उद्देश्य

भजन संहिता 150 काव्यात्मक लेखों का संग्रह है, जो पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर लिखे गए थे (2 तीमुथियुस 3:16)। ये गीत कई सदियों में लिखे गए और पूजा तथा व्यक्तिगत ध्यान के लिए प्रयुक्त होते थे। यह पुस्तक मानवीय भावनाओं का पूर्ण दर्पण है — आनंद से दुःख तक, आत्मविश्वास से निराशा तक — और उन्हें परमेश्वर की ओर मोड़ती है।

कई भजन भविष्यवाणी-स्वरूप हैं, जो आनेवाले मसीहा की ओर संकेत करते हैं। उदाहरण के लिए, भजन 22 यीशु मसीह की क्रूस पर मृत्यु का स्पष्ट चित्रण करता है, जिसे सुसमाचार में उद्धृत किया गया है।

भजन संहिता 22:1
“हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
(तुलना करें: मत्ती 27:46)


ऐतिहासिक संदर्भ और उपयोग

प्राचीन इस्राएल में भजन संहिता मंदिर की उपासना और व्यक्तिगत भक्ति में उपयोग होती थी। लेवी लोग इन्हें सार्वजनिक सभाओं में गाते थे। आज भी यहूदी और मसीही विश्वास में भजन दैनिक प्रार्थनाओं, आराधना सभाओं और लिटर्जी में प्रयोग किए जाते हैं।


भजन संहिता किसने लिखी?

परंपरागत रूप से राजा दाऊद को 150 में से 73 भजनों का लेखक माना जाता है (जैसे भजन 23, 51, 139)। दाऊद एक चरवाहा, योद्धा और राजा था, लेकिन उससे भी बढ़कर वह एक सच्चा आराधक था जिसका हृदय परमेश्वर के पीछे था (1 शमूएल 13:14)। उसके भजन परमेश्वर के साथ गहरे व्यक्तिगत संबंध को प्रकट करते हैं।

अन्य लेखक हैं:

  • आसाप (भजन 73–83),
  • कोरह के पुत्र (भजन 42–49),
  • मूसा (भजन 90),
  • सुलेमान (भजन 72 और 127),
  • और कुछ अज्ञात लेखक।

बाइबिल में लिखे गए सभी गीत भजन संहिता में सम्मिलित नहीं हैं। उदाहरणस्वरूप, मूसा का गीत व्यवस्थाविवरण 32 में पाया जाता है, जो परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और इस्राएल की अविश्वासयोग्यता का काव्यात्मक वर्णन है।


भजन संहिता का धार्मिक महत्व

  • ईश्वर-केंद्रित आराधना — भजन हमें सिखाते हैं कि आराधना परमेश्वर के स्वरूप पर केंद्रित होनी चाहिए: उसकी पवित्रता, प्रेम, दया, न्याय और प्रभुता (उदा. भजन 145:8–9)।
  • संविधि संबंध (Covenant Relationship) — भजन परमेश्वर और उसके लोगों के बीच के संबंध को दर्शाते हैं, विशेषकर पुराने नियम के संदर्भ में (भजन 103)।
  • मसीही भविष्यवाणियाँ — कई भजन सीधे यीशु मसीह की ओर इशारा करते हैं (उदा. भजन 2, 16, 22, 110)।
  • परमेश्वर का राजत्व — कई भजन परमेश्वर को सारी सृष्टि का राजा घोषित करते हैं (उदा. भजन 93; 96–99)।

भजन संहिता 145 पर चिंतन (ERV-Hindi)

यह भजन परमेश्वर की महानता और भलाई का एक आदर्श स्तुति गीत है:

भजन संहिता 145:1–3
हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तेरा स्तुति करूंगा,
और तेरे नाम की सदा सर्वदा स्तुति करूंगा।
मैं हर दिन तेरी स्तुति करूंगा,
और तेरे नाम की सदा सर्वदा स्तुति करूंगा।
यहोवा महान है और अत्यन्त स्तुति के योग्य है,
उसकी महानता का वर्णन नहीं हो सकता।

यह पीढ़ी दर पीढ़ी स्तुति की परंपरा को भी दर्शाता है:

भजन संहिता 145:4
एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को तेरे कामों का बखान करेगी,
और तेरे पराक्रम के कामों का प्रचार करेगी।

यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर के कार्यों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना कितना महत्वपूर्ण है — यही शिष्यता और आत्मिक विरासत का सार है।


आज भी भजन संहिता क्यों महत्वपूर्ण है?

भजन संहिता आज भी मसीही आराधना और प्रार्थना जीवन को आकार देती है। ये हमें सिखाते हैं कि परमेश्वर से कैसे सच्चाई और श्रद्धा के साथ बात करें। ये हमारे गहरे भय और बड़ी खुशियों को एक ऐसी भाषा में व्यक्त करते हैं जो हमें परमेश्वर की उपस्थिति में स्थिर रखती है।

भजन संहिता 147:1
यहोवा की स्तुति करो!
हमारे परमेश्वर के लिये गीत गाना अच्छा है;
क्योंकि यह मनोहर है, और स्तुति करना शोभा की बात है।

भजन संहिता 149:1
यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा के लिये नया गीत गाओ,
भक्तों की सभा में उसकी स्तुति करो।


निष्कर्ष

भजन संहिता केवल पुराने समय के गीत नहीं हैं — ये विश्वास की शाश्वत अभिव्यक्तियाँ हैं। आज भी परमेश्वर के लोग होने के नाते हमें इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए:

  • सच्चे मन से आराधना करें,
  • समझदारी से स्तुति करें,
  • और उस परमेश्वर के भय में जीवन बिताएँ
    जो अपने लोगों की स्तुति में वास करता है।

भजन संहिता 22:3 (O.V.)
तू तो पवित्र है,
और इस्राएल की स्तुतियों के बीच विराजमान है।


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Rehema Jonathan editor

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